आज ज्यादातर बीमारिया शारीरिक कम और मानसिक ज्यादा हैं, मगर केंसेर जैसी बीमारी हर श्रेणी से परे है|
केंसर- एक एसी बीमारी जिसको हम जितना समझना चहते हैं उतना उलझते जा रहे है| यूँ तो केंसर के इलाज के लिये हम हर सम्भव प्रयास करते हैं और इस जटिल बीमारी से निजात पाने का अपने अपने स्तर से कोई ना कोई रास्ता निकालने की उधेडबुन में कितना ही समय यहाँ-वहाँ दौड़-धूप में गवा बेठते है| यदि यही प्रयास समय रहते सही दिशा में करें जाये तो सम्भवत: नतीजे कुछ और हो सकते हैं, उम्मीद की कोई नयी किरन जाग सकती है|
इस ही उम्मीद की किरन का नाम है तिब्बती आयुर्वेदिक डाक्टर श्री येशी धोंदेन, जो आज किसी परिचय के मुहताज नहीं, अपने अद्वितीय अनुभव से केंसर जैसी बीमारी का इलाज सफलतापुर्ण कर पाने में कामयाब हो पाये हैं| वे मेक्लीओडगंज, धरमशाला, हिमाचल प्रदेश में अपने परिवार के साथ रहते है एवं अपनी विद्या का निस्वार्थ भाव से प्रयोग करते है| हम लाखों रुपये खर्च करके भी सफल परिणामों की कामना ही कर पाते हैं, मगर येशी जी की 2 माह की दवाई मात्र कुछ 2 से 2.5 हजार में ही आ जाती है और किमोथेरेपी के साथ अभूतपूर्व परिणाम देती है|
सबसे जरुरी बात जो केंसर के इलाज को जटिल बनती है, वह है कि इसका इलाज हर व्यक्ति विशेष के लिये अलग होना चहिये क्योंकि हर व्यक्ति का शरीर अलग तरीके से केंसर से लड़ने की कोशिश करता है| एक जैसे केंसर से पीडित दो अलग अलग इंसान के लिये इलाज का तरीका अलग हो सकता है और होना भी चहिये|
येशी धोंडेन जी के इलाज का तरीका भी कुछ ऐसा ही है, जो कुछ इस प्रकार है:-
- टोकन हासिल करना **
- सवेरे के पहले मुत्र को साफ़ शीशी में एकत्र करना
- टोकन के अनुसार सही दिन पर अपनी सारी पुरानी रीपोर्ट के साथ क्लीनिक पहुंचना
- डोक्टर साहब से मुलाकात एव दवाई हासिल करना
जांनकारी के अभाव में लोगो को लगता है की डो. येशी के क्लिनिक का टोकेन ले पाना किसी पहाड़ चड़ने से कम नहीं है| इस लेख का उद्देश्य इसी मिथक को तोड़ना है|
**टोकन लेने के 3 तरीके हैं:
- रात 3-4 बजे से लाईन में लगकर एड्वांस टोकन लेना (सबसे आम और अनिश्चित तरीका)
- कभी भी डाक्टर साहब के अशोका तिब्बेतन गेस्ट हाउस (जो उनका घर भी है) में 1-2 दिन रुककर| यह तरीका काफी अच्छा और सहज है| आपको सिर्फ इतना करना है कि अपनी यात्रा इस प्रकार प्लान करे की 3 से 4 दिन का समय निकाल कर किसी भी दिन का टोकन ले सके| विशेष रूप से ध्यान रखे आप जिस दिन भी पहुंचे उस दिन टोकन का कोइ भी जिक्र रीसेप्शन ऑफिस में ना करें, सिर्फ कमरा लेने की बात करें अगले दिन सुबह 8 बजे के आस पास रीसेप्श्न ऑफिस में जाकर टोकन के लिये प्रार्थना करें अगर भाग्य अच्छा हुआ तो उसी दिन का टोकन मिल जायेगा| नहीं तो वेटिंग वाला मिलेगा जो किसी मरीज के अनुपस्थित होने पर आपको मौका दिलाएगा| डाक्टर येशी एक दिन में कुल 60 मरीज देखते हैं- 45 एड्वांस टोकन वाले और 15 वेटिंग टोकन वाले| ध्यान रहे डोक्टर सिर्फ सुबह 9 बजे से दिन के 1 बजे तक ही देखते है|
- बिना टोकन के भी क्लिनिक पहुच कर एक सादी पर्ची पर नाम पता लिखकर गेस्ट हाउस से मुहर लगवाकर भी मरीज देखे जाते है, मगर अनुपस्थित मरीज ज्यादा होने पर ही|
इसके अलावा येशी जी के कुछ शिष्य भी इलाज करते है जहा सुबह जल्दी जाकर नाम लिखाना पड़ता है| पते की फोटो संलग्न है|
पठानकोट से धरमशाला अशोका तिब्बेतन गेस्ट हाउस तक के लिये टेक्सी ड्राइवर श्री रंधीर सिंघ (मो. +919816278189) की मदद ले सकते हैं
यह लेख पुरी तरह से मेरे अनुभव पर आधारित है और किसी भी तरह से प्रायोजित या प्रभावित नही है
A video proof of authenticity of ayurvedic treatment…